बुधवार, 19 अगस्त 2015

जब सावन सो जाता है -

जब सावन सो जाता है
मधुवन को रोना पड़ता है -
जब हाथों से औज़ार गए
तब भूखा  सोना पड़ता है -

रत कालजयी कर्तव्यों में
अपनों को खोना पड़ता है -
फूलों की चाहत में मितरा
काँटों को सहना पड़ता है -

विष की दवा विष ही होता
संग विष को ढोना पड़ता है -
दर्शन विहीन हीन मानस को
मिथकों  में जीना पड़ता है -

-उदय वीर सिंह


1 टिप्पणी:

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 20 - 08 - 2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2073 में दिया जाएगा
धन्यवाद