मत दिखाओं कि आईने बुरे लगते हैं
जिंदगी के सच मायिने बुरे लगते हैं-
तुम्हारी नजर में क्या है बता सकते हो
क्यों तुम्हें देख कर चेहरे डरे लगते हैं -
एतबार नहीं आता तेरे कसमो वादे पर
सफगोई से परहेज फरेब बुरे लगते हैं -
नाइंसाफी की बुलंद करने वाले आवाज
शातिर को, हर फिक्रमंद बुरे लगते हैं -
जिंदगी की चहलकदमी थम ही जाती है
वक्त आता है रंगो लिबास बुरे लगते हैं -
जिंदगी के सच मायिने बुरे लगते हैं-
तुम्हारी नजर में क्या है बता सकते हो
क्यों तुम्हें देख कर चेहरे डरे लगते हैं -
एतबार नहीं आता तेरे कसमो वादे पर
सफगोई से परहेज फरेब बुरे लगते हैं -
नाइंसाफी की बुलंद करने वाले आवाज
शातिर को, हर फिक्रमंद बुरे लगते हैं -
जिंदगी की चहलकदमी थम ही जाती है
वक्त आता है रंगो लिबास बुरे लगते हैं -
उदय वीर सिंह
1 टिप्पणी:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (05-12-2015) को "आईने बुरे लगते हैं" (चर्चा अंक- 2181) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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