उज्र है इतना इंसानियत से तुम्हें
फिर सुहेले इंसान कहाँ से लाओगे -
तेरे हाथों में सजी नंगी तलवारें हैं
गुलिस्ते- गुलदान कहाँ से लाओगे -
फैलती रही यूं ही नफरत धरती पर
हिन्दू -मुसलमान कहाँ से लाओगे -
हथियारों की होड़ में खप रहे इस्पात
खेती के लिए औज़ार कहा से लाओगे -
रख पट्टी आँख दुनियाँ देखने की कोशिश
मित्र अँधेरों के सिवाऔर क्या पाओगे -
उदय वीर सिंह
फिर सुहेले इंसान कहाँ से लाओगे -
तेरे हाथों में सजी नंगी तलवारें हैं
गुलिस्ते- गुलदान कहाँ से लाओगे -
फैलती रही यूं ही नफरत धरती पर
हिन्दू -मुसलमान कहाँ से लाओगे -
हथियारों की होड़ में खप रहे इस्पात
खेती के लिए औज़ार कहा से लाओगे -
रख पट्टी आँख दुनियाँ देखने की कोशिश
मित्र अँधेरों के सिवाऔर क्या पाओगे -
उदय वीर सिंह
1 टिप्पणी:
Humanity very nice topic सरकारी नौकरी
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