बुधवार, 9 दिसंबर 2015

इंसान कहाँ से लाओगे -

उज्र  है इतना  इंसानियत से तुम्हें 
फिर सुहेले इंसान कहाँ से लाओगे -
तेरे हाथों में सजी नंगी तलवारें हैं 
गुलिस्ते- गुलदान कहाँ से लाओगे -
फैलती रही यूं ही नफरत धरती पर 
हिन्दू -मुसलमान कहाँ से लाओगे  -
हथियारों की होड़ में खप रहे इस्पात 
खेती के लिए औज़ार कहा से लाओगे -
रख पट्टी आँख दुनियाँ देखने की कोशिश 
मित्र अँधेरों के सिवाऔर क्या पाओगे -

उदय वीर सिंह