रविवार, 17 जनवरी 2016

किरदार तुम्हारा ...

तय करो इस जीवन में किरदार तुम्हारा कैसा हो
सच्चे सौदे का व्यापारी  व्यापार तुम्हारा कैसा हो
जीवन में केवल लालित्य नहीं आँसू है संघर्ष भी है
अधिपत्य हेतु हथियार नहीं औज़ार तुम्हारा कैसा हो -
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यह जीवन का संदेश नहीं निशा तेरी अंधियारी  हो 
यह तुम पर निर्भर करता है संसार तुम्हारा कैसा हो 
अरि भी हैं रणवीर  भी है रणक्षेत्र बजी रणभेरी  है 
निर्णय तेरे मानस छोड़ा  रणाचार  तुम्हारा कैसा हो -
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जीवन मृत्यु न हाथ  तुम्हारे जो मांगो मिल जाएगी 
दिशा देश काल से आवृत सहकार तुम्हारा कैसा हो 
वाणिज्य हेतु देह यष्टि  प्रज्ञा शील  भी आमंत्रित हैं 
विपणन हेतु वस्तु चयन कर बाजार तुम्हारा कैसा हो -

उदय वीर सिंह 

1 टिप्पणी:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

स्वयं को सब नियत करना, सच में जीवन कितना कुछ अपना ही तो है।