बुधवार, 13 अप्रैल 2016

आप जज़्बात रखते हैं

हो सकता है हमसे इत्तेफाक रखते हों
मुझे खुशी है कि आप अपनी बात रखते हैं -
आप क्या सोचते हैं यह आप पर छोड़ते हैं
खुशी है कि  आप मनुष्यता की जाति रखते हैं -
गम और खुशी के अपने पैमाने होते हैं दोस्त
मुझे खुशी है कि  आप जज़्बात रखते हैं -
कुछ ठहरा नहीं मेरे पास बनता गया माजी
मुझे खुशी है कि आप सबका हिसाब रखते हैं -

उदय वीर सिंह




2 टिप्‍पणियां:

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 14 - 03 - 2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2312 में दिया जाएगा
धन्यवाद

रश्मि शर्मा ने कहा…

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