रविवार, 12 जून 2016

नशेड़ी नशेड़ी को नशेड़ी कह रहा है -

विडम्बना है नशेड़ी नशे पर प्रतिवन्ध नहीं, नशेड़ी का उपहास कर रहा है ]
पंजाब की हालत बताने में लगे असरदार बहुत हैं
अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता में लगे ईमानदार बहुत हैं
मधुशाला की रोटी खाने वाले महिमा मंडित हुए देखा
आकंठ डूबा है देश नशे में पर कहते हैं सरदार बहुत हैं -
फिक्र बहुत है पंजाब की कि मद पीकर ही लिखते है
शेर के खाल में लिपटे हुये पाये गए सियार बहुत हैं
भरता है गिलास कारोबारी देता है पीने का इश्तिहार
बहुरूपियों का ये चरित्र विरोधी कम पैरोकार बहुत हैं -
आप ज्ञानी उजड़ते पंजाब से रूबरू हुये अच्छा लगा
गाली को अभिव्यक्तियों का जामा मिला अच्छा लगा
नंगा कर चौराहों पर विश्लेषण करना भी अच्छा लगा
आपका नशाबंदी से मुकर जाना कितना अच्छा लगा -
उदय वीर सिंह

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