सबके घर में आग है सबके घर में पानी भी
सबके घर बुढ़ापा है सबके घर जवानी भी -
आँखों में सबके ख्वाब है आँखों में पानी भी
सबके घर किताब है सबके घर कहानी भी -
चंगे चंगेरे दोनों हाथ हैं , लकीरें वीर
सबके नसीब अपने अपनी ज़िंदगानी भी -
सबको बख्सी दात रब ने अपनी मेहरबानी भी
सबके दिल में प्यार और प्यार की निशानी भी -
उदय वीर सिंह
सबके घर बुढ़ापा है सबके घर जवानी भी -
आँखों में सबके ख्वाब है आँखों में पानी भी
सबके घर किताब है सबके घर कहानी भी -
चंगे चंगेरे दोनों हाथ हैं , लकीरें वीर
सबके नसीब अपने अपनी ज़िंदगानी भी -
सबको बख्सी दात रब ने अपनी मेहरबानी भी
सबके दिल में प्यार और प्यार की निशानी भी -
उदय वीर सिंह
1 टिप्पणी:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (10-06-2016) को "पात्र बना परिहास का" (चर्चा अंक-2369) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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