न जाने क्यों ये देश सवालियों का
क्यों लगता है -
सुनाई देती है चीख चिंघाड़ सब ओर
न जाने ये दयार अब मवालियों का
क्यों लगता है-
हर हाथ छुरे खंजर शमशीरे खूनी दाग हैं
न जाने ये आलमे जम्हूरियत बवालियों का
क्यों लगता है -
शुमार था बुलंदी और तरक्की के पायदानों पर
ये हमारा देश अब दिवालियों का
क्यों लगता है -
उदय वीर सिंह
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