सोमवार, 11 जुलाई 2016

जब संकट में होते हैं ....

जब संकट में होते हैं राष्ट्र बड़ा हो जाता है 
जब मौज में होते हैं धर्म बड़ा हो जाता है -
जब मौज में होते हैं संहिताएँ बड़ी हो जाती हैं 
जब संकट में होते हैं कर्म बड़ा हो जाता है -
जब संकट में होते हैं एकता बड़ी हो जाती है 
जब मौज में होते हैं वर्ण बड़ा हो जाता है -
न्याय अनुशीलन की व्याख्या बदल गई 
कवच याचन के अर्थों में कर्ण बड़ा हो जाता है -
जब विकृतियों को शरण मिली तब तब भारत टूटा है 
पलटो पीछे पन्नों को ले इतिहास खड़ा हो जाता है -

उदय वीर सिंह

1 टिप्पणी:

kuldeep thakur ने कहा…

जय मां हाटेशवरी...
अनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 12/07/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।