सिर्फ एक दो ईंटों से ही
कोई मकान नहीं बनता
सिर्फ नारों -इश्तिहारों से
कभी हिंदुस्तान नहीं बनता -
बूंद बूंद से सरिता बनती
सरिता सरिता से सागर है
धागों से धागे न जुडते
कोई परिधान नहीं बनता -
सिर्फ भाटों के गायन से कब
कोई रण जीता जाता है
उपवासी बन जाने से कोई
शक्तिमान नहीं बनता -
प्रेम पयोधि के चिंतन से
दिल बहलाये जा सकते
सिर्फ प्राणायाम कर लेने से
कोई इंसान नहीं बनता -
कण कण में शक्ति संचित है
सम्मान सहयोग की कुंजी है
सिर्फ थोथी चुपड़ी बातों से
कभी देश महान नहीं बनता -
उदय वीर सिंह
1 टिप्पणी:
जय मां हाटेशवरी...
अनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 30/08/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
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