रविवार, 28 अगस्त 2016

सिर्फ एक दो ईंटों से ही

सिर्फ एक दो ईंटों से ही 
कोई मकान नहीं बनता
सिर्फ नारों -इश्तिहारों से 
कभी हिंदुस्तान नहीं बनता -
बूंद बूंद से सरिता बनती 
सरिता सरिता से सागर है 
धागों से धागे जुडते 
कोई परिधान नहीं बनता -
सिर्फ भाटों के गायन से कब 
कोई रण जीता जाता है 
उपवासी बन जाने से कोई 
शक्तिमान नहीं बनता -
प्रेम पयोधि के चिंतन से 
दिल बहलाये जा सकते 
सिर्फ प्राणायाम कर लेने से 
कोई इंसान नहीं बनता -
कण कण में शक्ति संचित है 
सम्मान सहयोग की कुंजी है 
सिर्फ थोथी चुपड़ी बातों से 
कभी देश महान नहीं बनता -

उदय वीर सिंह

1 टिप्पणी:

kuldeep thakur ने कहा…

जय मां हाटेशवरी...
अनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 30/08/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।