गाउँगा मैं झुक कर विरुदावली
राजशाही का कोई दरबारी नहीं हूँ
कीमत मिलेगी तो कुछ भी कहूँगा
मैं राजा नहीं
तो भिखारी नहीं हूँ -
आजाद वादियों का समतल क्षितिज हूँ
मैं दलदल नहीं
हूँ निठारी नहीं हूँ -
होती वेदना क्या
मालूम मुझे
है -
हृदय मेरा अपना है सरकारी नहीं
हूँ
अनबोल भी हैं मेरे रहबर हमकदम
वो मेरे साथ रहते ,मैं शिकारी नहीं हूँ
उदय वीर सिंह
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