सोमवार, 22 अगस्त 2016

गाऊँगा झुक कर विरुदावली ....

गाउँगा मैं झुक कर विरुदावली 
राजशाही का कोई दरबारी नहीं हूँ 
कीमत मिलेगी तो कुछ भी कहूँगा 
मैं राजा नहीं तो भिखारी नहीं हूँ -
आजाद वादियों का समतल क्षितिज हूँ 
मैं दलदल नहीं हूँ निठारी नहीं हूँ -
होती वेदना क्या मालूम मुझे है -
हृदय मेरा अपना है सरकारी नहीं हूँ 
अनबोल भी हैं मेरे रहबर हमकदम 
वो मेरे साथ रहते ,मैं शिकारी नहीं हूँ 


उदय वीर सिंह 

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