मंगलवार, 26 जनवरी 2016

सोचा न था -



भारतीय जनमानस को गणतन्त्र दिवस की पूर्व संध्या पर हार्दिक बधाई !
***
गणतन्त्र कुछ लोगों का होकर रह जाएगा
ऐसा सोचा न था -
गणतन्त्र कार्यालय समितियों तक रह जाएगा 
ऐसा सोचा न था-
गणतन्त्र के स्तंभों को दीमक चाट जाएगा
ऐसा सोचा न था -
राजतंत्री चक्रव्युह के गाल मेँ समा जाएगा
ऐसा सोचा न था -
प्रजातंत्र ने सींचा खून से हासिए पर आ जाएगा
ऐसा सोचा न था -
सभी अपने झंडे की रखवाली मेँ तिरंगा जमीं पर आ जाएगा
ऐसा सोचा न था -
उदय वीर सिंह

शनिवार, 23 जनवरी 2016

मेरा भारत जिंदाबाद रहेगा ....

हम रहें न रहें ये आबाद रहेगा 
मेरा देश मेरा भारत जिंदाबाद रहेगा -
बे-मिशाल है वतन बा-खयाल है वतन 
हम कहें न कहे निर्विवाद रहेगा -
संस्कारों ने है ये सींचा गुलदारे चमन 
सरफरोश हम रहे हैं ये आजाद रहेगा -
वन्देमातरम की बोली हर जुबां की है बोली 
गाता रहे युगों तक सूरो साज रहेगा - 
जर्रा जर्रा हिंदुस्तानी हमखयाल वतनपरस्ती है 
बंद आँख फिर भी ये ख्याल रहेगा -

उदय वीर सिंह 

बुधवार, 20 जनवरी 2016

जवाब दे दो



उसके सवालों का जवाब दे दो
कर्ज कुछ पुराने है हिसाब दे दो -
झूठ भी सच बन कर खड़ा है 
कम से कम उसे नकाब दे दो -
गीले पन्ने पर कल्म मजबूर है
जुबा पर ही सही इंकलाव दे दो -
देखे अपनी आजादी एक नजर
उसे नींद दे दो एक ख्वाब दे दो -



उदय वीर सिंह

रविवार, 17 जनवरी 2016

किरदार तुम्हारा ...

तय करो इस जीवन में किरदार तुम्हारा कैसा हो
सच्चे सौदे का व्यापारी  व्यापार तुम्हारा कैसा हो
जीवन में केवल लालित्य नहीं आँसू है संघर्ष भी है
अधिपत्य हेतु हथियार नहीं औज़ार तुम्हारा कैसा हो -
***
यह जीवन का संदेश नहीं निशा तेरी अंधियारी  हो 
यह तुम पर निर्भर करता है संसार तुम्हारा कैसा हो 
अरि भी हैं रणवीर  भी है रणक्षेत्र बजी रणभेरी  है 
निर्णय तेरे मानस छोड़ा  रणाचार  तुम्हारा कैसा हो -
***
जीवन मृत्यु न हाथ  तुम्हारे जो मांगो मिल जाएगी 
दिशा देश काल से आवृत सहकार तुम्हारा कैसा हो 
वाणिज्य हेतु देह यष्टि  प्रज्ञा शील  भी आमंत्रित हैं 
विपणन हेतु वस्तु चयन कर बाजार तुम्हारा कैसा हो -

उदय वीर सिंह 

शनिवार, 16 जनवरी 2016

गुरु गोविंद सिंह जी [ second to non ]

गुरु गोबिन्द सिंह  [ The second to none...]

349 वें पावन प्रकाश पर्व पर समस्त जनमानस को लख लख  बधाइयाँ ... शुभकामनाएं .।
    सूरा सो पहिचानिए जो लड़े दीन के हेत 

इतिहास व  दुनियाँ की नजरों में - [ दस्तावेजों से ]
शाहे  -शहँशाह  दशम पातशाह  गुरु गोबिन्द सिंह 
जन्म 22,दिसंबर 1666 स्थान - [ पटना साहिब  बिहार ] 
ज्योति-जोत समाये 7 अक्तूबर -1708 स्थान -[ नांदेढ़ साहिब महाराष्ट्र ]
पिता जी  - नवम पातशाह गुरु तेगबहादुर सिंह जी महाराज 
मांता जी - मांता गुजर कौर जी । 
अर्धांगिनी -  मांता सुंदरी जी । 
पुतर - बाबा  सिंह जी ,बाबा अजित सिंह जी ,बाबा जोरावर सिंह जी ,बाबा जुझार सिंह जी 
ज्ञाता- गुरुमुखी ,हिन्दी, संस्कृत  अरबी फारसी उर्दू । 
रश्मि प्रभा -अलौकिक पारग्रही संत , अतुलनीय योद्धा ,रणनीतिकार,दार्शनिक , कवि ,संस्कार मूल्य -प्रणेता । सच्चे अर्थों में लोकतन्त्र के संस्थापक ।  मानवीय मूल्यों के प्रतिदर्श । 
भारत  और भारतीयता के मूल्य संस्थापनार्थाय निज -पिता [गुरु तेगबहादुर सिंह  जी ]  माँ -[गुजर कौर ] निज -पुत्र [ चार पुत्र ] व परिवार को न्योछावर कर  अपने वचनों को स्वयं सिद्ध कर दिया । 
   जो तो प्रेम खेलन का चावों ,सिर धर तली गली मेरे आओ ॥ 
    जेह मरग पैर धारिजै शीश दिजै कान्ह न कीजै ॥ 

शाहे-शहँशाह  गुरु गोबिन्द सिंह के संदर्भ में विश्व-भर के दार्शनिक , राजनीतिज्ञ,विद्वान चिंतक समाज-शास्त्रीयों के कुछ अनमोल विचार  
    किसने क्या कहा -[ एक नजर दस्तावेजों से ]

बुल्ले शाह-
       न कहूं अबकी ,न कहूं तबकी
        गर न होते गुरु गोबिंद सिंह
         सुन्नत होती सबकी  । 

अल्ला यार खान -[ इस्लामी इतिहासकर व कवि ]-
           इंसाफ गर करे जो जमाना तो यकीन है
             कह देगा के गोबिंद  का कोई सानी नहीं है -

अब्दुल तुरानी [ औरंगजेब का जासूस ]-
               बादशाह सावधान हो जाईये ,गुरु गोबिंद सिंह ईश्वर का जिवंत रूप है ,उसके विरुद्ध होना ख़ुदा  के विरुद्ध होना है .....

मोहमद लतीफ़  [Historian ]-
    Guru Govind Singh  was  great  as a person ,greater as a soldier and  as a  philosopher he  was second  to non ....

 किबरिया खान [कवि ] -
             क्या दसमेश पिता तेरी बात कहूं
                 जो  तूने  परोपकार किये -
                  एक खालस खालसा पंथ सजा
                       जातों  के  भेद  निकाल दिए-

पीर भीखम शाह [दरवेश]-
पटना [bihar ] की तरफ रुख करके  अपनी नमाज     
   पढते रहे ,यह घोषित कर के की मेरा साईं पटना में अवतरित हो गया है  ...

स्वामी विवेकानंद 
        हमारी नस्ल का महान गौरवशाली नायक ......

लार्ड कनिंघन [इंगलैंड]-
....The  lowest  of the  lowly became equal  to  the  highest  of  the  higher  caste . 

स्वामी महेश्वरा नन्द -
     गुरु गोबिंद सिंह जी ने ,एक सिख में ब्राम्हण क्षत्रिय  वैश्य ,शुद्र की सभी शक्तियों[ गुणों ] को समाहित कर दिया ......

W .M .Gregor -
        Guru  Gobind  Singh  affected  a  total  reform  in  the  religion  manners  and  habbits  of the  Sikhs .......

F . Pincott .-
    God was  speaking  in  guru ...
.
पंडित मदन मोहन मालवीय -
  प्रत्येक हिन्दू परिवार को अपने  एक सदस्य को  गुरु गोबिंद सिंह के सिंह के रूप में परिवर्तित करना होगा ...

K  .M  .पणिक्कर -
महान गुरु ने  'आदि ग्रन्थ 'को जीवित गुरु के रूप में स्थापित कर सर्वयापी  गुरु का रूप दिया ...
Sir   William Warburt -
     खालसा तर्कों व् नैतिक मूल्यों के शिखिर मानदंडों पर आधारित है ..
डॉ.राजेंद्र प्रसाद [प्रथम राष्ट्रपति ]-
सिख गुरु महान युग प्रवर्तक व् राष्ट्र नायक हैं जिनके अंदर किसी के प्रति  कोई पूर्वाग्रह नहीं है ...
डॉ  राधा कृषणन -
     गुरु साहिबान अनंत समय के लिए ज्योति स्वरुप मनुष्यता के दूत  हैं ....

बिल क्लिंटन [ एक्स प्रेसिडेंट ऑफ़ अमेरिका ]-
जब हम  मनुष्य प्रजाति में खोजते है तो पाते हैंकी गुरुओं का  जीवन  और उपदेश समस्त मानव जाति के लिए एक सामान व् पारदर्शी था ,जो अद्भत है ..

दलाई लामा - [धार्मिक गुरु]
गुरु साहिबान अपनी अद्वितीय छबि के कारन आसमान के अप्रतिम तारों के बिच अप्रतिम तारे हैं ...

रबिन्द्र नाथ टैगोर-
गुरु की शबद जोति प्रशंसनीय और अप्रतिम है ..

W .Churchil  [ex P .M .England ]  -
    The superior religion  based  on  supreme social  values ... 
******
                          जर्रे को आफताब बनाए वाले तेरी जरुरत है 
                             ढूंढते हैं  नैन मेरे ज्योति वाले तेरी जरुरत है 
                               पंथ की राह में  सरबंस लुटाने वाले तेरी जरुरत है 
                                 तेरे दर के हम सवाली  बाजां वाले तेरी जरुरत है -

                      वाहे गुरु जी दा  खालसा 
                         वाहे गुरु जी दी फ़तेह ....
  
 - उदय वीर सिंह 

शुक्रवार, 15 जनवरी 2016

चला गया पहले ....

क्या लिखेंगे हम ,जो लिखा गया पहले
शिलाओं से क्या मिटाएँ मिटा गया पहले -
स्मृतियों में सँजोये रखा उसको अब तक
छोड़ कर हमको जो दूर चला गया पहले -
फरमाईशों के दौर में वो दर्द भी उकेरने हैं
मुख्तलिफ़ नहीं कुछ भी जो सुना गया पहले -
दरिया बने या मरुस्थल बेखौफ आंखे हैं
उड़ीक थी मसर्र्ती कदमों की रुला गया पहले -

उदय वीर सिंह ....






बुधवार, 13 जनवरी 2016

तो अंधेरा होता है...

जब उगता है नाइंसाफी का सूरज
तो अंधेरा होता है-
जब टूट जाता है महल सुसंस्कारों का
तो अंधेरा होता है-
जब विचारों की दृष्टिहीनता छाती है
तो अंधेरा होता है -
जब बिकते अभिव्यक्ति और कलम
तो अंधेरा होता है -
पथ सूने होते जब वलिदानी जत्थों से
तो अंधेरा होता है -
कातिल मुंशिफ हो सुनता है फ़रियाद
तो अंधेरा होता है -

.उदय वीर सिंह





रविवार, 10 जनवरी 2016

प्राची में डूबा अंशुमान ,....


प्राची में डूबा अंशुमान ,
हमने कह दिया  तो कह दिया --
गंगा चीन में बहती है
हमने कह दिया तो कह दिया -
नेजे पर बैठे वजीर को प्यादे ने टोका
हुजुर !
बोला वजीर-
हम तख़्त पर बैठे हैं
हमने कह दिया तो कह दिया -

हम होते  तो ये देश होता
गिर गया  होता आसमान कबका
हमने कह दिया तो कह दिया -

महान था जयचंद, गोरी को अपना घर दिया
भारत- रत्न मिलना चाहिए
हमने कह दिया तो कह दिया -
 **
जमूरे ने कहा उस्ताद !
अक्ल की जरुरत है -
सत्य वचन !
जा ले   खरीद 
ये बाजार में नहीं मिलती उस्ताद !
नामुराद !
हमने कह दिया तो कह दिया -
 **
पियादा 
हुजूर !किसान आत्महत्या  कर  हैं 
झूठ  ! हजार झूठ !किसान तंगहाली से नहीं
प्रेम में मर रहे हैं 
किसने कहा कर्ज लेने को 
उधार की आदत  है उनको  
हमने कह दिया तो कह दिया -   
** 
बाढ़ का आलम पेड़ तक डूबने वाले हैं 
हवाई सर्वेक्षण का नजारा
खूबसूरत 
फसल अच्छी है
हमने कह दिया तो कह दिया -

  
                                      -उदय वीर सिंह
   

   

शुक्रवार, 8 जनवरी 2016

मोल गद्दार लगाया करते हैं -

खुद्दार की हसरत है शहादत
मोल गद्दार लगाया करते हैं -
वीर न्योछावर होते वलिवेदी
सिर गद्दार झुकाया करते हैं -

जिस माँ के आँगन प्यार मिला
मोल वफादार निभाया करते हैं
अहसान वतन का इतना है
उदय सौ जन्म लुटाया करते हैं  -

छोड़ चले द्वार शहनाई बजती
नाहर रण शीश कटाया करते हैं -
रहे सलामत सोने की चिड़िया
वलिदानी नीड़ बनाया करते हैं -


उदय वीर सिंह




बुधवार, 6 जनवरी 2016

सिंदूर जो मिटा होता

काश कि तुम्हारी बेटी होती तुम्हारा बेटा होता
क्या होता है उन्हें खोने का दर्द तुम्हें पता होता -
जीवन की शाम का खौफ, टूटी बैसाखी का ड़र
तुम्हें भी मालूम होता जो तेरा चिराग बुझा होता -
आएगी भरोषे की अब आवाज वो मजबूत कंधे
सुनी आँखें ,बिखरे स्वप्न सिंदूर  जो मिटा होता-
एक बहन का भाई बेटे की दीवार माँ की दुनियाँ

 बाप की दवाई का हिसाब भी कहीं लिखा होता -

उदय वीर सिंह 

वो पल नहीं आए

वो पल नहीं आए -
उनकी पेशानियों पर  बल नहीं आए
जिसकी प्रतीक्षा थी वो कल नहीं आए,
दरख्त सूख रहे दरकार थी पानी  की
कागजी डालों पर फूल फल नहीं आए -
***
कीचड़ से भर गई झील सड़ांध आती है 
मधुप तो आ गए, पर कमल नहीं आए ,
हँसेगा जीवन खुशी का सावन बरसेगा 
ऋतु पावस आई , पर बादल नहीं आए -
***
जय घोष में दब गयी वेदन भरी चीखें 
बचाने लाज अबला की मोहन नहीं आए 
लिखा जाएगा भाग्य अभिशप्तों का  भी 
बीते युग पर कभी वो पल नहीं आए -

उदय वीर सिंह 






सोमवार, 4 जनवरी 2016

रस्मी होकर रह गए ....

हम रह गए अपने घरों मे ही कैद
मुबारकबाद रश्मी होकर रह गए -
तराशते रहे सियासती मूरत,न मिली
मेरे हाथ जख्मी होकर रह गए -
कितनी बदल जाती है सूरत वादों की
अल्फ़ाज़ तिलस्मी होकर रह गए -
अफसोस करते आँखों में सैलाब लेकर
जज़्बात में मजहबी होकर रह गए -

उदय वीर सिंह


शनिवार, 2 जनवरी 2016

उजाला छिन लेते हैं -

शाजिशों की सर्दीयां इंसाफ जम गया है 
देकर के शाल और दुशाला छिन लेते हैं 
देकर के प्रीत का पियाला छिन लेते हैं 
बेबसों की थाल से निवाला छिन लेते हैं -
शब्द छिन लेते हैं,  संवाद छिन लेते हैं 
कलम छिन लेते पाठशाला छिन लेते हैं -
वंचकों प्रलापियों की देख आत्ममुग्धता 
नानक कबीर तुलसी निराला छिन लेते हैं -
रोता है बचपन कहीं, कूड़े के ढेर पर 
देकर अंधेरों को  उजाला छिन लेते हैं -

उदय वीर सिंह