इश्तिहारों से पीर जानी जाए
ये वक्त भी आना था
दिल टूटा हथौड़े इतने लगे
संबंध कागज पर निभाए जाएँ
ये वक्त भी आना था
कंधे खाली नहीं कोमल हाथों से
अर्थी ठेके पर उठाई जाए
ये वक्त भी आना था -
इंसानियत जाए कोई फर्क नहीं
नफरत सितम न जाए
ये वक्त भी आना था -
जन्म दिन पर आएगी माँ बाप की
शुभ आशीष अनाथालय से
ये वक्त भी आना था -
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें