सदियाँ अभिशप्त ती रहीं रहीं
रंगमहल का इतिहास लिखते रहे
तड़फता रहा अँधेरों में जीवन
उजला उजला आकाश लिखते रहे -
धर्म और देश सतत बिखरता रहा
बिखेरने वालों को खास लिखते रहे -
आंसू वेदन अन्यायी अनुशीलन था
कामसूत्रीय परिहास लिखते रहे -
पतझर वसंत का भेद न देखा
बबूल को अमलतास लिखते रहे -
उदय वीर सिंह
रंगमहल का इतिहास लिखते रहे
तड़फता रहा अँधेरों में जीवन
उजला उजला आकाश लिखते रहे -
धर्म और देश सतत बिखरता रहा
बिखेरने वालों को खास लिखते रहे -
आंसू वेदन अन्यायी अनुशीलन था
कामसूत्रीय परिहास लिखते रहे -
पतझर वसंत का भेद न देखा
बबूल को अमलतास लिखते रहे -
उदय वीर सिंह
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