पानी में प्रतिविम्ब
उतरता है
पानी मे चित्र नहीं बनते -
जब पैर विबाई साथ रही
विपदा में मित्र नहीं मिलते-
जब गंगा ही मैली हो जाती
नीर पवित्र नहीं मिलते -
जब छोड़ गया उपवन को माली
पुष्पों से इत्र नहीं मिलते-
आँचल में प्रेम पयोधि भरे
खोजे भी शत्रु नहीं मिलते-
उदय वीर सिंह
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