गुरुवार, 13 अप्रैल 2017

आँचल में प्रेम पयोधि भरे

पानी में प्रतिविम्ब उतरता है
पानी मे चित्र नहीं बनते
जब पैर विबाई साथ रही 
विपदा में मित्र नहीं मिलते-
जब गंगा ही मैली हो जाती 
नीर पवित्र नहीं मिलते
जब छोड़ गया उपवन को माली 
पुष्पों से इत्र नहीं मिलते
आँचल में प्रेम पयोधि भरे 
खोजे भी शत्रु नहीं मिलते-
उदय वीर सिंह



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