दूर करके किश्ती को किनारे न मिलते हैं
छोड़ करके रब का दर सहारे न मिलते हैं
रिश्ते तो मिलते हैं मातब की दुनियाँ में
बापू बेबे के नेहा सा पियारे न मिलते हैं
सरबती दिनों में सोख चश्मों का पानी है
सर्द भरी रातों में अंगारे न मिलते हैं -
अमावस की रात का आगमन जो होता है
साये न मिलते हैं, सितारे न मिलते हैं -
उदय वीर सिंह
छोड़ करके रब का दर सहारे न मिलते हैं
रिश्ते तो मिलते हैं मातब की दुनियाँ में
बापू बेबे के नेहा सा पियारे न मिलते हैं
सरबती दिनों में सोख चश्मों का पानी है
सर्द भरी रातों में अंगारे न मिलते हैं -
अमावस की रात का आगमन जो होता है
साये न मिलते हैं, सितारे न मिलते हैं -
उदय वीर सिंह
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