रविवार, 12 नवंबर 2017

सत्ता -मद दौलत ....
सत्ता-मद दौलत को क्या कहिए
माँ तात भ्रात के शीश कटे
बंटा हृदय ,घर ,आँगन, आँचल
प्रीत बंटी आशीष बंटे-
कहीं रुदन क्रंदन अवसाद विषम
छाती कूट रही सम्बन्धों की शाला
कहीं अट्टहास विभत्स विजय का
चढ़ घर द्वारे नवनीत बंटे-
कहीं ब्याहता तनया बहना
सत्ता चौपड़ की श्रीगार हुई
सात जन्मों की शपथ तिरोहित
संस्कार, सत्ता के द्वार लुटे -
दुर्दांत सत्ता के पैरोकारों
सत्ता शक्ति की चेरी है
हाथ आई पृथ्वीराज या जयचदों के
जब संस्कारों के बंध कटे -
खंजर छाती या पीठ घुसी धर्म सम्मत
कर विजयहाथ कहने वालों
व्रत संयम संकल्प अनुशासन छुट गए
खुशियाँ वापस होने में युग बीते -
उदयवीर सिंह


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