था मधुर गीत का कलरव अखंड
हृदय में आज सून्यता क्यों है
था नेह सलिल का सागर अनंत
हृदय में घोर दैन्यता क्यों है
था सदद्भाव मान का क्षितिज सुनहरा
मानस में बसी वन्यता क्यों है -
थी रक्षार्थ मूल्यों को अर्पित स्वांसे
जीवन में संस्कार हीनता क्यों है -
विप्लव तमस में पथ प्रकाश
असमर्थ पगों को गंतव्य मिला
था प्रेम का वाचक मानव मन
खंडित आश विषमता क्यों है -
था लाड़ दुलार का समर्थ
भाव
सज्जित उपवन किसलय प्रसून
मानवता के उच्च शिखर में
आज असीम निम्नता क्यों है
उदय वीर सिंह
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