सोमवार, 19 मार्च 2018

कोयल रहे माली भी बाग भी रहे

रोशनी भी आग भी चिराग भी रहे
कोयल रहे माली भी बाग भी रहे
चिट्टी चादर का आकलन अधूरा है
निंदक भी रहेऔर दाग भी रहे -

बीज मुकम्मल होता है दफ्न होकर
वीर जीवन रहे जज़्बात भी रहे
घसियारे की घास में ताजगी रहे
गाय के थन में दूध हरी घास भी रहे -

उजड़ने का दर्द बसनेवालों से पूछिए
दर्द रहे तो कायनात भी रहे -
बतानुकूलन में क्या पता मौसम का
शर्दी रहे गर्मी भी बरसात भी रहे -

भाषा रहे भाव सदा समरस रहे
दिनकर भी रहे आफताब भी रहे -
वतन गुरुद्वारा मंदिर मस्जिद चर्च
भारत रहे भारत आबाद भी रहे -



उदय वीर सिंह

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