रविवार, 29 अप्रैल 2018

एक सौदा मर्यादा का -------- ।

एक सौदा अब मर्यादा का भी --------  
हम भूल गए हैं ज़िम्मेदारी 
बात गई है ठेके पर 
शयन भूमि पर सौदा सच्चा 
खाट गई है ठेके पर -
खोदो कुआं राह मिलेगी 
बाट गई है ठेके पर -
हँसना भी ठेके पर हो 
रात गई है ठेके पर 
दूल्हा दुल्हन की खैर करो 
बारात गई है ठेके पर -
सूना चूल्हा खाली बटलोई 
परात गई है ठेके पर 
गौरव मर्यादा की बात पुरानी 
सौगात गई है ठेके पर -
कम पड़ते हैं कर आय अंश 
इमदाद गई है ठेके पर -
आँखों का पानी मरता
लाज गई है ठेके पर
 कैसे मंजिल जा दस्तक देंगे 
लात गई है ठेके पर -
अक्षम होते तंत्र हमारे 
अब बात गई है ठेके पर -
उदय वीर सिंह




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