रविवार, 8 अप्रैल 2018

देख कर अवसर पाला बदल लेते हैं

देख कर अवसर पाला बदल लेते हैं 
थाली देखकर निवाला बदल लेते हैं
सत्ता की दौड़ भी क्या गुल खिलाती है 
बदल लेते हैं रब,शिवाला बदल लेते हैं -
बदल लेते हैं राह हमसफर ही नहीं 
शहर और नदी नाला बदल लेते हैं 
बह जाए खून की दरिया उनकी शान 
माजी कहता है मनके माला बदल लेते हैं -
वतन ईमान असूल फर्ज अलंकार हैं 
सिर्फ वतन परस्तों के लिए बने 
कायम रहे उनकी सल्तनत बुलंदी 

विश्वास ही नहीं बहनोई साला बदल लेते हैं -

उदय वीर सिंह

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