माँ पावन, माँ प्रज्ञा है
माँ पावन माँ प्रज्ञा है ... ...हर दिन माँ की दात..! ; कोटिशः प्रणाम
' माँ की दुनियाँ संतान से आरंभ हो संतान पर खत्म होती है ' ।
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ये बाग हरा,वरक सुनहरा न होता ,
तेरे आंचल की छांव,नेह का अमृत
माँ अगर जीवन में भरा न होता -
उदय वीर सिंह
3 टिप्पणियां:
मदर्स डे की हार्दिक शुभकामनाओं सहित , आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की २०५० वीं पोस्ट ... तो पढ़ना न भूलें ...
" जिसको नहीं देखा हमने कभी - 2050वीं ब्लॉग-बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
सुंदर !!!
नमन
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