रविवार, 13 मई 2018

माँ पावन, माँ प्रज्ञा है

माँ पावन माँ प्रज्ञा है ... ...हर दिन माँ की दात..! ; कोटिशः प्रणाम 
' माँ की दुनियाँ संतान से आरंभ हो संतान पर खत्म होती है ' । 
***
ये बाग हरा,वरक सुनहरा न होता ,
तेरे आंचल की छांव,नेह का अमृत 
माँ अगर जीवन में भरा न होता -
उदय वीर सिंह

3 टिप्‍पणियां:

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

मदर्स डे की हार्दिक शुभकामनाओं सहित , आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की २०५० वीं पोस्ट ... तो पढ़ना न भूलें ...

" जिसको नहीं देखा हमने कभी - 2050वीं ब्लॉग-बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Meena sharma ने कहा…

सुंदर !!!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

नमन