शनिवार, 30 जून 2018

सुहाग तो सुहाग होता है -


उसे नफ़रत सिर्फ अन्धेरों से है 
जलता है तो बेहिसाब जलता है 
देखता है दर दयार फिरका 
रोशन चिराग तो चिराग होता है -
लाख बंदिशों में भी जुदा नहीं 
काँटों की सेज पर भी हुनरमंद 
समझा लेता है सुनी आँखों को 
वीर ख्वाब तो ख्वाब होता है -
लगा देते हैं दामन में फितरती 
ता-उम्र बे-जार रोने के लिए 
कुछ लग जाते हैं शौको शान में 
बेशक दाग तो दाग होता है -
किसी मांग में सिंदूर का होना 
बेख़ौफ़ बयां करता है हनक माही की 
बदले खुदाई भी बहुत फीकी है 
वीर सुहाग तो सुहाग होता है -
गमलों में बरगद भी उगने लगे 
बेल अमलतास नागफनी गुलाब 
यहाँ परिंदों के घर झूले नहीं बनते 
एक बाग़ तो बाग़ होता है -
उदय वीर सिंह



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