आप के इंतजार
में ख्वाब बैठे हैं
वो कह रहे थे हम जाग बैठे हैं -
बिछी है मगहर में कमली उनकी
आप काशी काबा प्रयाग बैठे हैं -
आसमां एक जमीं मिली कमोबेस सबको
आप हैं की ले नया राग बैठे हैं -
कोयल की मांग थी जमाने को
कंगूरो बाग में अब काग बैठे हैं -
ग्रंथ कहते हैं मानवता से बड़ा न कोई
ये सूत्र वाक्य भी त्याग बैठे हैं
सहेज रखता है पन्नो को माजी
गौर से देखिए कितने दाग बैठे हैं -
आस्तीन में न्याय व प्रेम रखिए
टटोल कर देखिए नाग बैठे हैं
भरोषा रखिए मीरीऔर पीरी का
गुरुज्ञान के तमस में चिराग बैठे हैं -
उदय वीर सिंह
4 टिप्पणियां:
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, वीरांगना रानी दुर्गावती का ४५४ वां बलिदान दिवस “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जय मां हाटेशवरी...
अनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 26/06/2018
को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
वाह लाजवाब ।
बहुत खूब ...
कुछ शेर तो गज़ब हैं ... अपनी बात को कहने का लाजवाब अंदाज़ लिए ...
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