रविवार, 14 अक्तूबर 2018

गाए हमने गीत बहुत ....


गाए हमने गीत बहुत
प्रेम कभी वेदन के
सुनने वाले भूल गए
राग सभी संवेदन के -
राह वही राही बदले
साख वही साथी बदले
धरती वही गगन भी वही
घन बदले पंछी बदले -
उत्सव की रंग हवेली में
बदले नाम आमंत्रण के -
सन्दर्भ वही संवाद वही
सुर बदले स्वर बदले
पीड़ा के वाचनहारों के
भाषा बदली अक्षर बदले -
मंदिर भी वही मूर्ति भी वही
बदले पात्र आवेदन के -
उदय वीर सिंह






1 टिप्पणी:

शिवम् मिश्रा ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 14/10/2018 की बुलेटिन, अमर शहीद सेकेण्ड लेफ्टिनेन्ट अरुण खेतरपाल जी को सादर नमन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !