बयान दर्ज है -
अभिव्यक्ति को विराम न दो
कलुष को स्थान न दो
गुण सदा पोषणीय होते हैं
दोषों को सम्मान न दो -
प्रतिदान वांछनीय है वीर
समर्थ को कभी दान न दो
गंतव्य की जय होने तक
प्रयासों को आराम न दो -
स्वाभाविक है जिजीविषा होनी चाहिए
शिक्षक को ज्ञान न दो
प्रत्यंचा कवच जब ढीले हो
सर को कभी संधान न दो -
प्रज्ञा पयोधि भरता जाए
मन -मानस अभिमान न दो
भरा रहे सम्मान कोश
हो ह्रदय उदार अपमान न दो -
उदय वीर सिंह
अभिव्यक्ति को विराम न दो
कलुष को स्थान न दो
गुण सदा पोषणीय होते हैं
दोषों को सम्मान न दो -
प्रतिदान वांछनीय है वीर
समर्थ को कभी दान न दो
गंतव्य की जय होने तक
प्रयासों को आराम न दो -
स्वाभाविक है जिजीविषा होनी चाहिए
शिक्षक को ज्ञान न दो
प्रत्यंचा कवच जब ढीले हो
सर को कभी संधान न दो -
प्रज्ञा पयोधि भरता जाए
मन -मानस अभिमान न दो
भरा रहे सम्मान कोश
हो ह्रदय उदार अपमान न दो -
उदय वीर सिंह
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