हम-हमारा त्याग कर हित देश की अरदास है-
स्वीकार भारत भूमि हित वैराग्य है संन्यास है -
जन्म से मृत्यु का पथ ,गंतव्य भारत अर्चना
हर स्वांस में हर शब्द में अर्पण भरी अभ्यर्थना
अर्पित करें ले शीश कर मम जन्म का प्रयास है -
हम रहें, या ना रहें ,मेरा देश जीए युग अनंत ,
वलिदानके जत्थे जियें वलिदान ही जिनका बसंत
प्रीत तिरंगा रीति तिरंगा वसन तिरंगा खास है -
मानवता को उर्जामय करती रही माँ भारती
सकल विश्व को दृष्टि नवल ,देती रही माँ भारती
आँचल में इसके सूर्य प्रखर ,उज्वल जगत प्रकाश है -
उदय वीर सिंह
बहुत सुंदर देशभक्ति से ओतप्रोत सराहनीय रचना।
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