बुधवार, 13 फ़रवरी 2019

कैसे तरुवर बदल गया


छोड़ गए पत्ते सूखे तो
कैसे तरुवर बदल गया
टूट गया शीशा मनमोहक
कैसे कह दूँ पत्थर बदल गया -

शिलाखंड कुछ खिसक गए
तो कैसे गिरिवर बदल गया ,
तट कुछ विष बूंदों ने आकार लिया ,
कैसे कह दूँ निर्झर बदल गया -

प्रेम के तीरथ प्रेम प्रवासी
अंचन मंचन नित्य नहाते
प्रेम की गाथा भाषा बेबस
कह दूँ कैसे अक्षर बदल गया -

अम्बर कितना गहरा है या ऊँचा
बादल क्या बतलायेंगे
किंचित रश्मि रथि पथ विचंलन से
कैसे दिनकर बदल गया -
उदय वीर सिंह




कोई टिप्पणी नहीं: