हर सीने में दिल होता हर सीने में धड़कन भी -
पर कहा नहीं जा सकता
हर सीने में मधु होगा हर सीने में मधुवन भी -
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हर दिल चाहत होती हर दिल में उत्साह प्रवर
पर कहा नहीं जा सकता
हर हाथों में दीपक होगा हर हाथों में परचम भी -
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विषधर की रखवाली में चन्दन अछूत हो जाता है
पर कहा नहीं जा सकता
शोलों की आगोश बसा शीतल रह पायेगा चन्दन भी -
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जब रण मांगे आभूषण शाळा शस्त्र बनाने लगती है
कहा नहीं जा सकता
कब मांग बन जाए रणचंडी,शमशीर बने कर कंगन भी -
उदय वीर सिंह
4 टिप्पणियां:
जय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
28/04/2019 को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में......
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
वाह बहुत बढ़िया है
अद्भुत अप्रतिम आदरणीय
वाह अलग मिजाज के भाव समेटे सुंदर रचना --
विषधर की रखवाली में चन्दन अछूत हो जाता है
पर कहा नहीं जा सकता
शोलों की आगोश बसा शीतल रह पायेगा चन्दन भी - बहुत खूब | हार्दिक शुभकामनायें आदरणीय उदय जी |
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