शनिवार, 6 अप्रैल 2019

फासला रह गया ....


मैने चाहा बहुत फासला रहे
फासला इतना था ,फासला रह गया
सफर छोड़ कर हमसफ़र टूर गए
फासलों में मेरे काफिला रह गया -
मयस्सर हुईं इल्म की पौडियां
दाखिला नाम का दाखिला रह गया -
कस्र टीले में तब्दील पाता हूँ मैं
किला नाम का अब किला रह गया -
सदाओं में सोयी सदाकत मिली
हंजुओं का निरा सिलसिला रह गया -
मेरी कोशिश मिटाने की भरसक रही
फिर भी पाया दिलों में  गिला रह गया -
उदय वीर सिंह







3 टिप्‍पणियां:

शुभा ने कहा…

वाह!!बहुत खूब!!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत सुन्दर

Sudha Devrani ने कहा…

वाह!!!
बहुत सुन्दर