अलविदा दिल्ली ! फिर मिलेंगे -
जिस पथ का गंतव्य हो अग्नि शिखा,
उस पथ से जाते कुछ लोग ही हैं -
लांछित हो न सत्य कभी
पीते गरल कुछ लोग ही हैं-
देकर जीवन जनमानस को
शर शय्या पर सो लेते ,
मृत्यु प्रलेख पर हस्ताक्षर
कर जाते कुछ लोग ही हैं
उदय वीर सिंह
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