रविवार, 5 मई 2019

बुने हुए स्वप्नों को ......


बुने हुए स्वप्नों को रंगों का धरातल दे पायें-
महक उठे जीवन समस्त स्वांसों को परिमल दे पायें -
माना की शाख- प्रसूनों के कांटे भी उग आते हैं 
गंतव्य सुरक्षित पाने को पथ समतल तो दे पायें
प्रहसन पर भाड़ों के धन और दाद मिला करते हैं 
माण-शिखर के तारों को ध्वनि-करतल तो दे पायें 
उदय वीर सिंह


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