गुरुवार, 27 जून 2019

कम्पित अधर बिन शब्द होगे -

नीर से ज्वाला उठी तो, समीर शीतल व्यग्र होंगे -
जल उठेंगे पात कोमल,पुष्प फल भी दग्ध होंगे-
पंख पखेरू भष्मित होंगे,आवेग अनल के तीव्र होंगे 
विलुप्त होगी प्राण वायु,दल निहारिका के उग्र होंगे-
क्रंदन वियोग शापित अवनि नभ,संत्राश के पर्याय होंगे, 

मूक होगा ज्ञान वाचक,कम्पित अधर बिन शब्द होगे -
उदय वीर सिंह

सोमवार, 24 जून 2019

समदर्श समीक्षा एकल हो ..

जब समदर्श समीक्षा एकल हो सत्य रसातल जाता है,
षडयंत्र प्रायोजित भीड़ हुई सुकरात हलाहल पाता है-
समग्र सृजन का भाव तिरोहित बसुधा बंजर हो जाती है
सूखे कंकालों के बीच एक दिन भूखा गिद्ध मर जाता है-
जब न होंगे बस्ती बंजारे किसको बेचोगे सौदागर
खाली बस्ती खामोश शहर से जादूगर भी टूर जाता है-
मत रौंदो मानवता को,मानवता की अस्थि प्रखर होगी
जा लगी आंत में किंचित भी बब्बर शेर मर जाता है -
उदय वीर सिंह

मंगलवार, 18 जून 2019

सभी जानते हैं ..उजालों की फितरत


मुसाफिर ने पूछा दिखाना पड़ेगा
कांटे किधर हैं बताना पड़ेगा -
क्या बताएँगे मंजिलआवारा बादल
मील के पत्थरों से निभाना पड़ेगा -
खून की अहमियत क्या बताएगा खूनी
जिंदगी के लिए दिल लगाना पड़ेगा -
सभी जानते हैं उजालों की फितरत
दीप हर हाल में एक जलाना पड़ेगा -
उदय वीर सिंह

मंगलवार, 4 जून 2019

मेरी मास्को यात्रा .. [7 जून 19 ]


मेरी मास्को यात्रा -7/6/19
 विश्व हिंदी साहित्य परिषद् का साहित्यिक रश्मि आलोक हिंदी भाषा को उच्चतम आकाश देने का अप्रतिम निश्छल प्रयास निश्चय ही उच्चतम मानदंड स्थापित करता हुआ प्रशंसनीय है ।सशक्त वैश्विक हिंदी ,साहित्य जगत का अंशुमान बने मेरी कामना है  
  मेरी साहित्यिक यात्रा के सोपानों में मेरी मास्को यात्रा अविस्मरणीय होगी मेरी नयी पुस्तक ' साक्ष्य ' [ कहानी संग्रह ] का विमोचन मेरी गौरवमयी सम्मेलन में प्रतिभागिता ,मुझे मेरी साहित्य साधना में निरन्तर बल प्रदान करेंगे  मेरे मूर्धन्य हिंदी सेवी वरिष्ठों कनिष्ठ विद्वत जनों ,मनीषियों का सानिध्य मुझे अह्वालादित करता है  
मेरी साहित्यिक यात्रा के तमाम सोपान मेरे स्नेही सुधिजनों की आत्मीयता आशीष की स्नेहिल सौगात है जो मेरे हृदय में संचित है  
  आभार प्रकट करता हूँ अपने गुरुग्रथ साहिब जी का ,सुधि पाठकों ,गुरुशिक्षकों स्वजनों के अमूल्य स्नेह का जिसका प्रतिदान मैं देने योग्य नहीं ,सिवा शीश झुका उनके वंदन के ..... 
उदय वीर सिंह 
3/6 /19

सोमवार, 3 जून 2019

हर दिल में आग मत ढूढो-


कायम रहने दो जिंदगी को 
हर दिल में आग मत ढूढो-
हर डाली फूलो सुगंध की नहीं 
हर बिरवे में पराग मत ढूंढो-

अपनी आँखों पर भरोषा चाहिए 
हर अँधेरे में चिराग मत ढूंढो -
रौनके इल्हाम कम नहीं दुनियां में 
वीर, प्रेम में वैराग्य मत ढूंढो

सहरा होता ही है धूप की सल्तनत 
चल सको तो चलो बाग़ मत ढूंढो
नकाब नहीं इल्म पहनो नूर वालो 
ख़िताबों के बीच खिताब मत ढूंढो-

उदय वीर सिंह