गुरुवार, 15 अगस्त 2019


गोरखपुर में " गुरुद्वारे उदासी मंदिर "
एक नजर -
*****
1 - गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा जटाशंकर - गोरखपुर
------------------------------------------------------
यह एक ऐतिहासिक गुरुद्वारा है ,अपनी पहली उदासी [धार्मिक यात्रा ] के क्रम में उपलब्ध साक्ष्य दस्तावेज से विदित होता है कि श्री आदि गुरु ,गुरु नानकदेव जी अपनी लगभग 32 वर्ष की युवा अवस्था में सन [1500 -1506 ] पानीपत,दिल्ली ,बनारस ,से टांडा होते हुए गोरक्षतपो भूमि पर अपने चरण-कमल धरे । गोरखपुर प्रवास-काल में आज का धर्मशाला बाजार,उस समय का जटाशंकर तालाब ,पर स्थित जटाशंकर मंदिर पर आदि गुरु,गुरु नानक देव जी ने पावन प्रवास -विश्राम किये  इसवी सन के अनुसार यह काल खंड संभवतः मार्च 1503-4 का था 
 जिस पावन भूमि पर उनका प्रवास हुआ ,आज यहाँ एक भव्य गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा जटाशंकर सुशोभित  हैं  पूर्वी उत्तर प्रदेश,निकटवर्ती बिहार के सिख  पंजाबी ,सिन्धी समाज के प्रबल आस्था का यह गुरुद्वारा केंद्र है 
2 - गुरुद्वारा श्री गुरु नानक सत्संग सभा मोहद्दीपुर 
-------------------------------------------------------------
   यह गुरुद्वारा गोरखपुर शहर के बीचो-बीच राष्ट्रिय राजमार्ग संख्या -28 पर रामगढ़ झील के तट बसे मोहद्दीपुर नगर के ह्रदय स्थल में स्थापित है  इसा गुरूद्वारे का स्थापन काल सन 1956 का है ।सन-1947 भारत-विभाजन का अथाह दंश झेलते हुए भी ,सिख पंजाबी सिंघी समाज ने अपनी आस्था संकल्प संस्कृति को अक्षुण रखने का अखंड व्रत लेते हुए अपने धार्मिक स्थलों यथा गुरुद्वारों मंदिरों का निर्माण कार्य किया 
 इस गुरूद्वारे के निर्माण के लिए सरदार जय सिंह जी [अब स्वर्गीय ] ने अपनी भू-खंड समर्पित की। समस्त सिख श्रद्धालुओं ने अपना अतुलनीय समर्पण सहयोग दे इस भव्य गुरूद्वारे का सुन्दर स्वरूप दिया । इसमें पंजाबी हिदू सिन्धी संगति का अपूर्व सहयोग समर्पण मिला  इस गुरूद्वारे में  देश विदेश से श्रद्धालु मत्था टेकने आते हैं ,देश की कई  महान राजनीतिक कला संस्कृति से सम्बंधित तमाम हस्तियों को इस गुरु घर का आशीष स्नेह मिला  
3- गुरुद्वारा गुरुसिंह सभा पैडले गंज गोरखपुर 
-----------------------------------------------------
यह गुरुद्वारा गोरखपुर विश्वविद्यालय [ अब पंडित दीनदयाल उपध्याय विश्व विद्यालय गोरखपर ] के सटे दक्षिण तरफ स्थित है , भारत विभाजन के बाद विस्थापित हुए सिख हिन्दू जन - समूह ने अपनी ईश्वरीय आराधना हेतु गुरुद्वारा मंदिर का निर्माण कराया  संस्थापकों में स्व सन्त साईं लाल जी स्व सरदार गुरुचरण सिंह जी ,स्व जगपाल सूरी ,स्व सरदार मान सिंह  स्व ज्वाला सिंह जी  अन्य का सहयोग समर्पण रहा 
4- गुरुद्वारा संत कबीर साहिब मगहर
--------------------------------------------- 
मगहर ,गोरखपुर शहर से लखनउ मार्ग पर करीब 35 किमी पश्चिम में वर्तमान में[ संतकबीर नगर जिले ] में श्तित है  यहाँ संत कबीर साहिब जी ने  सन 1518 में अपने शारीर को छोड़ ज्योति-जोत समा गए  अपने
 संकल्प  जो अपने जीवन काल में लिया था कि मैं अपना जीवन तथाकथित अभिशप्त स्थान मगहर में जिसके बारे में कहा जाता था कि जो मगहर में प्राण छोड़ता है वह नरक में जाता है ,को खंडित करने हेतु यह वचन लिया था  यहाँ गुरुद्वारा प्रबन्धक कमिटी ने एक भव्य दर्शनीय गुरुद्वारा का निर्माण कराया है  
   गोरखपुर में उदासी [उदासीन ] मंदिर  एक नजर -
-----------------------------------------------------------
1 - श्री गोपाल मंदिर मोहद्दीपुर गोरखपुर -
----------------------------------------------
    गुरु नानक सत्संग सभा मोहद्दीपुर गोरखपुर  के ठीक सामने उत्तर तरफ यह मंदिर स्थित है ,जिसके संथापक सदस्य निर्माण मंडल सदस्य में मुख्य रूप से ब्रजभूषण गंडेरीलाल जी लाला रूप चंद सरदार जय सिंह जी ,सरदार गोकुल सिंह जी ,दीवान चाँद कक्कड़ जी गोबिंद राम साहनी आदि हिन्दू -सिख श्रद्धालु जनों 
ने सन 1956 में आराध्य स्थल के रूप में विक्सित किया ,जो आज भव्य मंदिर का रूप पा रहा है ... यहाँ शहर के धर्म श्रद्धालु अपना मत्था टेकते हैं 


2-श्री कृष्ण मंदिर पंजाबी समाज पैडलेगंज गोरखपुर 
--------------------------------------------------------------
पैडलेगंज पंजाबी मंदिर भरा विभाजन से विस्थापित पंजाबी हिन्दुओं द्वारा श्री कृष्ण मंदिर का निर्माण कार्य किया गया ,जिसमे सिखों व हिन्दुओं का सम्मिलित सार्थक योगदान रहा ,मुखी हिन्दु जमात में स्व जगपाल सूरी,स्व कृष्ण कुमार कोहली ,स्व माता कमलावती मेहता जी का व सिख जमात से स्व साईं लाल जी गुरु चरण सिंह स्व मन सिंह जी सेवा समर्पण मंदिर का रूप दिया 
3- उदासी मंदिर जटाशंकर गोरखपुर 
-----------------------------------------
यह उदासी संप्रदाय का मंदिर गुरुद्वारा जटाशंकर के पश्चिम जटाशंकर पोखरे के पास स्थित है  इसके ज्ञात पहले महंथ जवाहिर लाल जी  थे  यह मंदिर पत्तर प्रदेश उदासी संप्रदाय के अधीन है  यह संप्रदाय गुरु नानक देव जी के प्रथम पुत्र श्री श्री चंद जी के  दर्शन निजामत में चलता रहा है ,इनके अनुयायी श्री चंद जी को अपना गुरु मानते हैं 





4 - उदासी मंदिर नखास चौक गोरखपुर 
----------------------------------------------
यह उदासी संप्रदाय का मंदिर गोरखपुर के व्यस्ततम क्षेत्र " नखास " में स्थित है ,इसके संथापक संत श्री छब्बा लाल जी थे  इस मंदिर में राम मूर्ति के साथ ही गुरुग्रंथ साहिब जी की भी उपस्थिति है  किम्बदंतियों के अनुसार यहाँ पर बाबा श्री चंद जी आये थे ,और इस उदासी मंदिर स्थापना की ऐसा कहना है मंदिर के वर्तमान सदस्य -सेवकों का  सिख गुरुपर्व अन्य गुरुपर्व इनके आकर्षक पर्व हैं 


5- उदासी सम्प्रदाय मंदिर राजघाट गोरखपुर -
--------------------------------------------------------------
यह उदासी संप्रदाय मंदिर गोरखपुर शहर के उत्तर में राप्ती नदी के तट स्थित है  यह एक प्राचीन मंदिर है , एक चस्पा शिलापट्टिका लेख के अनुसार सन 1927   में ईस उदासी मंदिर का  जीर्णोद्धार किया गया  इसी मंदिर के बगल में एक शिव मंदिर भी स्थापित किया गया है। इस मंदिर में बाबा श्रीचंद जी की पूजा होती है  यहाँ बाबा जी का गुरुपर्व धूम धाम से मनाया जाता है ।                                          
उदय वीर सिंह 
 10/08 /19 







कोई टिप्पणी नहीं: