मंगलवार, 12 नवंबर 2019

हौसले तूने दिए

जर्रों को आफताब होने के हौसले तूने दिये,
रब की रज़ा थी ,नायब फैसले तूने किये -
अँधेरे जाएँ तो कहा जाएँ होंठ  सवाली थे 
मिटाकर ऐब उनका ,उन्हें उजले तूने किये -
तेरा मुकम्मल नूर वफ़ा की राह ले जाता ,,
झूठ ,पाखंड के सिने  पर हमले तूने किये - 
उदय वीर सिंह 

1 टिप्पणी:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (13-11-2019) को      "गठबन्धन की नाव"   (चर्चा अंक- 3518)     पर भी होगी। 
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'