गुरुवार, 26 दिसंबर 2019

बाबा जोरावर सिंह व बाबा फ़तेह सिंह

सरहिंद 27 दिसंबर 1705 [ अदालत की आखिरी सुनवाई व फैसला ]
परम पूज्यनीया दादी माता गुजर कौर जी द्वारा बाबा फ़तेह सिंह [6 वर्ष ] बाबा जोरावर सिंह जी [ 8 वर्ष ]को शहर सरहिंद नवाब वजीर खान की अदालत में अंतिम सुनवाई के दिन भेजते समय की अंतिम आशीष व निर्देश जो विश्व के इतिहास में अद्वितीय हैं ,अंकित हुए-" देखीं दाग कदीं न लग जावीं बापू दी चिट्टी चादर नू "
{ध्यान रखना मेरे लालों ! दादा व पिता की सफ़ेद चादर में कहीं दाग न लग जावे }
और अप्रतिम ईश्वरीय आभा के अग्रदूत मासूम गुरु पुत्रों का उत्तर भी दादी माँ के उपदेश / शिक्षा के अनुरूप था -
"धन भाग हमरै है माई ,धर्म होत तन जो कर जाई "
...और इस बिछोड़े के बाद फिर कभी इस दुनियावी जीवन में मिलना न हुआ ।
गुरु माता जी व गुरु-पुत्रों की अमर शहीदी की ऐसीअद्भुत मिशाल कहीं खोजे नहीं मिलती । इन अमर आत्माओं ने जिया और अमर कर दिया इस अप्रतिम सिक्खी के सूत्र वाक्य को -
"तन जाये शीश जाये ...सिक्खी सिदक न जाए "
***
सत्ता पांव में होती , जिसे करतार ने लिखा-
क्या लिखेगा कोई जिसे परवरदिगार ने लिखा ।
क्या झुकाएगा सितम उस सजीले शीश को ,
जिस उपर ताज दशमेश सरकार ने रक्खा ।
हुकूमतों के जोर कायर लाचार सहते हैं
कूबत नहीं मिटाये कोई जिसे गुरु दरबार ने लिखा ।
उदय वीर सिंह

सोमवार, 23 दिसंबर 2019

अपनी दुआ भी देते हो ....


अपनी दुआ भी देते हो तो वजन देखकर
अगर कंधा भी देते हो तो कफ़न देखकर-
सवाल ही नहीं अपनी ख़ता कबूली का
अगर कबूलते भी हो तो वजन देखकर-
महशर में क्या दोगे जवाब मालूम हुआ ,
पाला भी बदलते हो तो वजन देखकर -
अन्दर की खूबसूरती का कोई मायिना नहीं
दिल भी लगाते हो तो पैरहन देखकर -
एक इंसान है की उसे इंसान गवारा नहीं
इंसान को पहचानता है उसका वतन देखकर
बड़ी बेतकल्लुफ सी परिंदों की दुनिया है
जब भी जाते हैं मोहब्बत का चमन देखकर -
उदय वीर सिंह

सोमवार, 16 दिसंबर 2019

निहितार्थ ...

आज मेरे हाथों में मेरी नवीन काव्य कृति " निहितार्थ " काव्य संग्रह सुशोभित है जिसे संजो कर अभिभूत हूँ मेरी अभिव्यक्तियों को समेटे मेरी संवेदनाओं का मेरे भावों का निहितार्थ लिए मुझे अवसर प्राप्त हुआ जिसे आप तक पहुँचाऊँ. कृतज्ञ हूँ आप सभी मित्रो शुभचिंतकों सुधीजनों गुरुशिक्षकों का जिनकी आशीष प्रेरणा का संबल मुझे प्राप्त होता रहा है 
.पुस्तक काव्या प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित हुई है ,जिसे आमेजन व फ्लिंटाफ पर भी प्राप्त किया जा सकता है
उदय वीर सिंह

शनिवार, 14 दिसंबर 2019

अंशुमान भारत है ....


अंशुमान भारत है ....
असीमित प्रेम का अक्षय संस्थान भारत है
मानवीय दृष्टि का विषद आसमान भारत है ,
दया करुणा क्षमा की रीत ही रग में हमारी है
समदर्शी भावनाओं का सजा वितान भारत है -
शरणागत को अपने अंक ले सम्मान बख्शा है
त्याग परिणाम क्या होगा वचन का मान रक्खा है
घात -आघात भी गहरे,रहा सहता निरंतर है ,
विश्व-प्रज्ञा-पटल पर ये अटल अंशुमान भारत है -
संस्कृतियों ने अपने ज्ञान की आभा बिखेरी है ,
हर चमन के अपनी कोख की गाथा सुनहरी है -
हमारे हर गाँव गंगा हैं, हमारे हर ठांव तीरथ हैं
अतिथि देवो भवः के सूत्र का प्रतिमान भारत है -
उदय वीर सिंह



गुरुवार, 12 दिसंबर 2019

जगाये गए हैं आप ...


लूटे गए हैं आप ,लुटाये गए हैं आप ,
बा-मुश्किल मिली थी नींद जगाये गए हैं आप-
चले थे तलाशने सच, बड़ी उम्मीद ले
बे-कब्र बे-कफन दफनाये गए हैं आप -
अपने निवालों में अफीम से बे-खबर थे
अपनी ही नजर , गिराए गए हैं आप -
नींद का मजहब होगा ,ख़्वाबों का भी,
हको जमीर होगा आपका बताये गए हैं आप -
उदय वीर सिंह

रविवार, 1 दिसंबर 2019

हिन्द की चादर गुरु तेग बहादुर सिंह जी महाराज



🙏 नवम पातशाह गुरु तेगबहादुर सिंह जी महाराज [हिन्द की चादर ] के 345 वें शहादत दिवस पर कोटि कोटि नमन व विनम्र श्रद्धांजलि ...🙏🙏
' शीश जाये ,तन जाए ...सिक्खी सिदक न जाये .'..[ वाणी ]
राम गयो रावण गयो, ताको बहु परिवार... कह नानक थिर कछु नहीं,सपनेहु जस संसार...[ वाणी ]
' पहिले मोमिन तूं हमको बनाले .हिंदुआं नू फेर तू कहीं .'.।
24 नवम्बर 1675 को दिल्ली के वर्तामान गुरुद्वारा शीशगंज [चाँदनी चौक ] पर इस्लाम न कबूल करने के कारन शहीद किया गया ।11 नवंबर 1675 को गुरु महाराज के सामने ही भाई मत्ती दास जी ,भाई सत्ती दास जी व भाई दयाला जी को दुनिया के विभत्सम तरीके [ खड़े -खड़े आरे से चिर दिया गया ,चरखड़ीयोँ पर चढ़ा कर ] शहीद कर दिया गया था ।
परन्तु सिक्खी अडोल रही हिन्दुओं को दिया वचन अटल रहा । आज हमारा वजूद है तो उनकी वजह से है .. ।
गर्व है की हम उस शहीदी परंपरा के वारिस हैं ....।
"हर जन्म में बाबे तेरा पथ मिले ....नानक नाम जहाज सिक्खी का रथ मिले "
उदय वीर सिंह ।