रविवार, 23 फ़रवरी 2020

देख आया हूँ ...


उंजालों से लिपटा अंधकार देख आया हूँ
डूबती नाव की टूटती पतवार देख आया हूँ
कैसे जिंदगी एक जिंदगी को निगल जाती है
मजबूरीयों से भरा बाजार देख आया हूँ
किताबों मे पढ़ा था देवों की अप्सराओं को
अप्सराओं का रोता हुआ संसार देख आया हूँ --
वेदना से मुक्ति का सन्मार्ग बताने वालों की
षड़यंत्री सहयोग रक्ताई तलवार देख आया हूँ
खुशियाँ छिन लेता है जमाना जहालत देकर
देकर शीतल छांव घातक प्रहार देख आया हूँ -
उदय वीर सिंह

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