शनिवार, 30 मई 2020

बाद गुब्बार के बादल ...


बाद गुब्बार के, बादल ....
बाद गुब्बार के बादल बरसकर काम कर देंगे ,
कारवां की तबाही का खुलासा आम कर देंगे -
रिश्तों में शिकंजों की उदय कितनी जरुरत है ,
जिसे शैतान करते थे , उसे इंसान कर देंगे -
अटल सौगंध खायी राम की,विश्वास को तोडा
कहाँ सोचा वो बसते ग्राम को शमशान कर देंगे -
लूटा बाग़ का माली, चमन के गुल ,गुलाबों को ,
जिन्हें महफ़िल ले जाना था उन्हें गुमनाम कर देगे -
फ़रिश्ते भी कहाँ जाएँ ,हुए मजबूर चिंतन को,
हजारों पाप जिनके हैं , उन्हें महान कर देंगे -
उदय वीर सिंह

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