बुधवार, 6 मई 2020

दिल तोड़ रहे हैं मदिरालय ....

दिल तोड़ रहे हैं मदिरालय......
मंदिर मस्जिद बन्द हुए 
,खुले हुए हैं मदिरालय -
धूल - धूसरित ग्रन्थालय , 
फ़ल-फ़ूल रहे हैं मदिरालय -
शिक्षा,शिक्षालय गहवर में हो,
ढूंढ रहे हैं आश्रम अनाथ ,
सहकार समर्थ सत्ता सिन्हासन ,
उत्सव में हैं मदिरालय -
सूने घर के चूल्हे-चौके ,शिशु,
वृद्ध अशक्त के दृग सूने ,
सूने कन्गूरे गिद्ध विराजे,
सजते रंग - महल से मदिरालय -
मिल बांट रहे हैं प्रेम कोरोना,
गल मिल जन्म- जन्म के नेह,
अब मुक्त हुए आचारों से ,
दिल तोड़ रहे हैं मदिरालय -
उदय वीर सिंह


1 टिप्पणी:

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत ही सुन्दर समसामयिक , यथार्थ पर आधारित सटीक सृजन।
मिल बांट रहे हैं प्रेम कोरोना,
गल मिल जन्म- जन्म के नेह,
अब मुक्त हुए आचारों से ,
दिल तोड़ रहे हैं मदिरालय -