शुक्रवार, 5 जून 2020

कोई अमृत पिलाता है ....


कोई पर्दा उठाता है, कोई पर्दा गिराता है,
मंजिल ले जाता है कोई मंजिल बुलाता है,
युगों की भित्तियों को बांच कर हम देख पाते हैं,
सृजन कोई बनाता है, उन्हें कोई मिटाता है -
जीवन वीथियों में रहबर हर रंग में दिखते ,
विष कोई पिलाता है, कोई अमृत पिलाता है -
राग जिसने बनाई हो शब्द स्वर मान रखते हैं ,
जिन्हें हर कंठ गाता है ह्रदय से साज गाता है -
उदय वीर सिंह

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