रविवार, 7 जून 2020

हम कहाँ पहुंचे .....



श्री शिखर पर जाना था,हम अधो-धाम पहुंचे,
विकास तज ,विनाश के उच्च-प्रतिमान पहुंचे -
आत्म विवेचना का निषेध आत्मघात बनता है
जीवन में श्रृंगार रचना था ,कि शमशान पहुंचे -
जंग, स्पर्धा मानवता के घाती शत्रुओं से थी ,
हम जिद्द मतभेद लेकर मौत के ग्राम पहुंचे -
घृणा,प्रतिशोध की आग,भष्म हो जाएगा वतन
वैर,मतभेद का मद पिये मृत शोध-संस्थान पहुंचे -
उदय वीर सिंह

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