सोमवार, 2 अगस्त 2021

मेरा शहर मुझसे अनजान हो गया है...

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ये शहर मेरा मुझसेअनजान हो गया है।
एक भरोषा था कहीं गुमनाम हो गया है।
पगडंडियां ही सही दिल को जोड़ती थीं,
अब बे-मोड़ हाईवे का निर्मान हो गया है।
सदाआयी पड़ोसी की मोहल्ला सजग हुआ
अख़बारी खबर का अब इंतजाम हो गया है।
शुक्र है हम चले कुछ तरक्की की राह पर
ईमान बाजार का सस्ता सामान हो गया है।
उदय वीर सिंह।

2 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत खूब

सदाआयी पड़ोसी की मोहल्ला सजग हुआ
अख़बारी खबर का अब इंतजाम हो गया है।
सटीक लिखा

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

भरोसा कर लें। लाजवाब।