बुधवार, 11 अगस्त 2021

खेत खलिहान के देवों की...








अगर नूर है आंखों में दिखालाई देना चाहिए
देश के इन सेवादारों की परछाईं होना चाहिए।
भीख नहीं वो निज-श्रम की कीमत मांग रहे हैं,
खेत खलिहान के देवों की भरपाई होना चाहिए।
महलों के रहने वालों से इनका गिला नहीं है,
तन-मन से दरवेेशो की सच्चेमन सुनवाई होनी चाहिए।

उदय वीर सिंह।

6 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह। दिखलाई कर लें।

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवार (12-08-2021 ) को धरती पर पानी ही पानी (चर्चा अंक 4144) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

#रवीन्द्र_सिंह_यादव

anita _sudhir ने कहा…

सत्य

anita _sudhir ने कहा…

सत्य

Sudha Devrani ने कहा…

भीख नहीं वो निज-श्रम की कीमत मांग रहे हैं,
खेत खलिहान के देवों की भरपाई होना चाहिए।
वाह!!!
क्या बात...
बहुत ही सुन्दर ।

Anuradha chauhan ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन