बुधवार, 13 अक्तूबर 2021

हमने लिखे तुमने लिखे....









 

हमने लिखे,तुमने लिखे, 

पढ़ने का जमाना चला गया।

हमने कहे,तुमने कहे,

सुनने का जमाना चला गया।

रिश्ते अजनवी हो गए,

मिलने का जमाना चला गया।

दर्द सहके मुस्कराकर,

मिलने का जमाना चला गया।

दिल हुये अब पत्थरों से,

पिघलने का जमाना चला गया।

दर बेकसों के दीप एक,

रखने का जमाना चला गया।

दो बोल मीठे सिर अदब में,

झुकने का जमाना चला गया।

उदय वीर सिंह।

1 टिप्पणी:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

फुरसत से खुद की निकलें तो सोचें
कहां से उठाया था निवाला
भूख ही ना रही बबाला चला गया

लाजवाब