रविवार, 28 नवंबर 2021

नयन जागते रहे....


 








अजनवियों कीभीड़अपना तलाशता रहा।

नयन जागते रहे सपना तलाशता रहा।

पहचान कर सब ले गए अपनीअमानतें

मेरी कहाँ बचीं हर कोना तलाशता रहा।

बोई उम्मीद की फसल बरसात ले गई,

वायदों की थाली, दाना तलाशता रहा।

मुख़्तलिफ़ किताबों के पन्ने पलट गया,

जाती ज़िंदगीका अफ़साना तलाशता रहा।

उदय वीर सिंह।

9 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…
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Ravindra Singh Yadav ने कहा…
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मन की वीणा ने कहा…
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गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…
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गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…
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Manisha Goswami ने कहा…
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Bharti Das ने कहा…
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