शुक्रवार, 5 नवंबर 2021

तम न रहे...









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तम न रहे, दिल में ग़म न रहे।

प्रीत के गांव में प्रीत कम न रहे।

हर दर्द की है सदा एक सी,

सिर्फ़ उलफ़त रहे जी सितम न रहे।

छोड़ आएं अंधेरों को गह्वर किसी,

दिल हर्षित रहे आंख नम न रहे।

उदय वीर सिंह।

1 टिप्पणी:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…
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