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तम न रहे, दिल में ग़म न रहे।
प्रीत के गांव में प्रीत कम न रहे।
हर दर्द की है सदा एक सी,
सिर्फ़ उलफ़त रहे जी सितम न रहे।
छोड़ आएं अंधेरों को गह्वर किसी,
दिल हर्षित रहे आंख नम न रहे।
उदय वीर सिंह।
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