रविवार, 5 दिसंबर 2021

मत रखो....




 

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नफ़रतों के लिए जगह मत रखो।

जिंदगी के लिए वज़ह मत रखो।

धूप कभी छांव का आना जाना है,

सिर्फ अपने लिए सुबह मत रखो।

अगर तेरी हार से अमन आता है,

तो बर्बादियों पर फ़तह मत रखो।

वतन है तो हमारी आवाज़ भी है,

किसी को दलदली सतह मत रखो।

उदय वीर सिंह।

2 टिप्‍पणियां:

जिज्ञासा सिंह ने कहा…
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सुशील कुमार जोशी ने कहा…
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