....देश-राग✍️
मिलकर गाये प्रेम गीत सब,
उन रागों का क्या होगा।
चादर बीनी देश प्रेम की,
उन धागों का क्या होगा।
इस वतन की मिट्टी ने मांगा,
हर तन ने अपना खून दिया,
रंग अनेक लिए गुल खिलते
उन बागों का क्या होगा।
हिन्दू सिक्ख ईसाई मोमिन,
जिस आलय में रहते हैं,
कर्तव्य मूल्य संघर्ष प्रेम पथ,
सज्जित द्वारों का क्या होगा।
निहितार्थ वतन की सेवा,
जीवन का हर पल अर्पण,
सर्वस्व न्योछावर करने वाले
उन पद-चिन्हों का क्या होगा।
उदय वीर सिंह।
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