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अपने रिश्ते गुलाब रखिये।
प्रीत का उपर ताज रखिये।
बाहर कमीं नहीं सहरा की,
दिल में हरा भरा बाग रखिये।
खूबसूरत हैं उंगलियांआपकी,
अपने नगीने पर नाज़ रखिये ।
शोलों को देखा है बुझते हुए,
थोड़ा शरबती मिज़ाज रखिये।
कोई तूफ़ान ना-ख़ुदा नहीं होता,
हौसले अपने फ़राज रखिये।
उदय वीर सिंह।
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