सोमवार, 28 फ़रवरी 2022

युद्ध नहीं बुद्ध चाहिए..




....बुद्ध चाहिए.✍️

युद्ध को जिंदगी या जिंदगी को 

युद्ध चाहिए।

मानवता का विध्वंस या पंथ

बुद्ध चाहिए?

बताओ जिंदगी को विष या कि

पवन शुद्ध चाहिए?

विनाश के अस्त्र या सृजन के ग्रंथ,

खुशहाली की सड़क या रास्ता

अवरुद्ध चाहिए ?

शासकों की सनक पर रोयीं 

 हैं सदियां अनेक,

क्या आगे भी बिलखने को हमें,

और युद्ध चाहिए ?

उदय  वीर सिंह।

शनिवार, 26 फ़रवरी 2022

पूछना जरूर जी...


 



.......✍️

पूछना जरूर जी ...

कभी दिल से बात करके 

देखना जरूर जी।

अपने दिल का हाल कभी, 

पूछना जरूर जी।

दुनियां के मसले हैं,मशविरे हजार हैं,

अपनी ख्वाहिशों से कभी,

मिलना जरूर जी।

लिखते रहे हो दर्द सारे जमाने का,

फुर्सत मिले तो अपना, 

लिखना जरूर जी।

गिले और शिकवे सुख दुःख के लिफ़ाफ़ों में,

आयी चिट्ठियों को अपनी 

पढ़ना जरूर जी।

उदय वीर सिंह।

गुरुवार, 24 फ़रवरी 2022

वो बहादुर ...


 




ज़ख्म सिलते नहीं...।

दिल में डर आंधियों का सहेजे हुए,

वो  बहादुर ,घरों से निकलते नहीं।

जो भी आया शरण में हमारा हुआ,

वो बहादुर वचन दे , बदलते नहीं।

जिसने दिल दे खरीदा हो सारा जहां,

वो बहादुर कभी मोल बिकते नहीं।

जंग में ज़ख्म से जब मोहब्बत हुई,

वो बहादुर कभी ज़ख्म सिलते नहीं।

जिंदगी नाम लिख दी वतन के लिए,

वो बहादुर फिज़ाओं में मिलते नहीं।

उदय वीर सिंह।

रविवार, 20 फ़रवरी 2022

मजबूर ढूंढने की कोशिश...


 






......✍️

मजबूरों में मजबूर ढूंढने की कोशिश।

मजदूरों में मजदूर ढूंढने की कोशिश।

ये कैसी मन मानस की शरारत है,

दिनकर में नूर ढूंढने की कोशिश।

हम सब बैठे देख रहे हैं घर जलते

एक घर मशहूर ढूंढ़ने की कोशिश।

जब अपनों से इतनी लंबी दूरी है,

अपना घर दूर ढूंढने की कोशिश।

भाते अब मक्के की रोटी साग नहीं,

कहीं तंदूरी तंदूर ढूंढने की कोशिश।

औजार चाहते पथ निर्मित करने को,

हाथों में संतूर ढूंढने की कोशिश।

उद्स्य वीर  सिंह।

बुधवार, 16 फ़रवरी 2022

पीर बोलेगी...


 





......✍️

खामोशियाँ पत्थरों की टूटेंगी

बेख़ौफ़ उनकी पीर बोलेगी।

मुमकिन है दौर गूंगा हो जाए

मुजस्सिमों की तस्वीर बोलेगी।

जुल्म तो आख़िर जुल्म है वीर

इंसाफ की तासीर बोलेगी।

सदायें मज़ारों से गाफ़िल नहीं

हकपसंदों की जागीर बोलेगी।

कह न पाई जुबां दासतां अपनी

बदन में लगी हर तीर बोलेगी।

आज तेरी कल और की होगी

मुख़ालफ़त में शमशीर बोलेगी।

उदय वीर सिंह।

शनिवार, 12 फ़रवरी 2022

स्वर ऊंचा हो जाने से...


 



🙏

क्या दर्शन भी ऊंचा हो जाता,

स्वर ऊंचा हो जाने से।

क्या संवेदन भी ऊंचा हो जाता,

दर ऊंचा हो जाने से।

क्या गगन टूट कर गिर जाता,

पत्थर ऊंचा हो जाने से।

क्या कलुष हृदय पीयूष हो जाता,

स्वर कातर हो जाने से।

क्या मर्यादा मूल्य परिभाषित होते,

घर ऊंचा हो जाने से।

क्या झुक जाते संस्कार संस्कृति,

सिर ऊंचा हो जाने से।

उदय वीर सिंह।